क्रांतिकारी शालू सैनी का मुर्दों से इतना प्रेम देख जनता हुई भावुक


शगुन केसरी हरिद्वार 

मुजफ्फरनगर की रहने वाली क्रांतिकारी शालू सैनी ने उत्तराखंड हरिद्वार सती घाट पर करीब 500 से ज्यादा लावारिस अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया शालू सैनी अब तक 5000 से ज्यादा अंतिम संस्कार व अस्थि विसर्जन अपने हाथों से कर चुकी है क्रांतिकारी शालू सैनी की कहानी वाकई में प्रेरणादायक है उन्होंने समाज के एक ऐसे वर्ग की सेवा करने का बीड़ा उठाया है जो अक्सर उपेक्षित रह जाता है लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करना और उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित करना एक बहुत ही नेक काम है व पेसो की तंगी के चलते जो लोग अपनो का अंतिम संस्कार नहीं कर पाते शालू उनकी भी आगे आके मदद करती है ताकि हर मृतक को कफ़न नसीब हो सके शालू सैनी का यह कार्य न केवल मानवता की सेवा है बल्कि यह हमारे समाज के लिए एक बड़ा संदेश भी है उन्होंने दिखाया है कि सेवा और प्रेम की कोई सीमा नहीं होती और यह कि हम सब एक दूसरे के प्रति जिम्मेदार हैं
यह जानना भी बहुत अच्छा है कि उन्होंने कोरोना काल के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर भी इस कार्य को जारी रखा उनका यह जज्बा और समर्पण वाकई में काबिले तारीफ है
क्रांतिकारी शालू सैनी ने बताया कि वो अंतिम संस्कार की सेवा के लिए लोगों से भीख तक मांग सकती है अंतिम संस्कार की सेवा को दिल से करती रहेंगी क्योंकि ये सेवा बाबा महाकाल के आदेश से चल रही है अब जबकि उन्होंने लोगों से सहयोग की अपील की है तो मुझे उम्मीद है कि लोग उनकी इस नेक काम में जरूर साथ देंगे आप भी उनकी इस मुहिम में सहयोग कर सकते हैं और उनके काम को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं